देवास में हिन्दुत्व एवं राष्ट्रवाद का कमल खिला, भाजपा की प्रचंड विजय महापौर गीता अग्रवाल ऐतिहासिक मतों 45884 मतों से चुनाव जीती, वार्डो में कब्जा

 





देवास। नगर पालिक निगम 2022 के चुनाव में हिंदुत्व एवं राष्ट्रवाद का कमल खिला है। भाजपा की श्रीमती गीता दुर्गेश अग्रवाल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी श्रीमती विनोदिनी रमेश व्यास को 45884 मतों से पराजित करते हुए प्रचंड जीत हासिल की। उन्हे कुल 89502 मत प्राप्त हुए, जबकि कांगे्रस की श्रीमती व्यास को 43618 मतों पर ही संतोष करना पड़ा। शहर के नगरीय निकाय के इतिहास में यह अभी तक की सर्वाधिक बड़ी, ऐतिहासिक जीत है। निर्दलीय महापौर प्रत्याशियों में सर्वाधिक 12367 श्रीमती मनीषा चौधरी को मिले, जबकि आम आदमी पार्टी की चाना ज्ञानेश को 7534, सपा की नीता सुर्यवंशी को 3798 एवं निर्दलीय जुबेदा हातम को 6913 वोट मिले। कुल 45 वार्डो में से  31 वार्डो पर कब्जा कर भाजपा से निगम परिषद पर भी कब्जा कर लिया है। कांग्रेस को मात्र 8 वार्डो में ही जीत मिल पायी। 6 वार्डो में निर्दलीय विजयी रहे, इनमे से भी अधिकांश भाजपा समर्थित पार्षद चुनकर आये है। विधायक गायत्रीराजे पवार का कुशल चुनाव प्रबंधन, महाराज विक्रमसिंह पवार की अगुवाई एवं जिलाध्यक्ष राजीव खंडेलवाल सहित कार्यकर्ताओं की बड़ी फौज द्वारा प्रचार के दौरान दिन रात परिश्रम के कारण भाजपा की ऐतिहासिक जीत के शिल्पकार बने। मतगणना स्थल पर प्रात: 10.30 बजे के दरम्यान महापौर एवं पार्षद पद के प्रारंभिक रुझानों के साथ ही ढोल ताशो की गूंज के साथ भाजपा के झंडे लहराने लग गये थे। जैसे जैसे परिणाम के रुझानों में भाजपा को चौतरफा बढ़त मिलती रही, मतगणना स्थल से लेकर वार्डो में ढोल-ताशो के साथ आतिशबा

जी की गूंज सुनाई देती रही।

अंडर करंट को भांप नहीं सकी कांग्रेस

निगम चुनाव में अन्दर ही अन्दर चली लहर अथवा अंडर करंट को कांग्रेस भांप नहीं सकी। विकास का मुद्दा अपनी जगह रहा, मतदाताओं के दिमाग में यह बात घर कर गयी कि देश, प्रदेश से लेकर देवास तक भाजपा की सत्ता है तो विकास के लिये महापौर भी भाजपा का ही अधिक उपयुक्त है। विकास के साथ ही नामांकन की प्रक्रिया के दौरान से ही सोशल मीडिया पर राष्ट्रवाद एवं हिन्दुत्व का मुद्दा उभरकर सामने आ गया था, जब सीएए, एनआरसी का विरोध करने वाले प्रत्याशियों की सोशल मीडिया पर भाजपा एवं विचारधारा से जुडेÞ कार्यकर्ताओं की और से खिलाफत शुरू हो गयी थी। प्रचार के दौरान ही उदयपुर, अमरावती में हुए नृशंस हत्याकांड, कई स्थानों पर पत्थरबाजी सहित राष्ट्रीय स्तर पर वर्तमान परिस्थितियाँ मतदाताओं के मन मस्तिष्क में निरंतर उफनती रही। भाजपा के पार्षद प्रत्याशियों द्वारा लगभग हर वार्ड में प्रचार के दौरान स्थानीय एवं प्रादेशिक नेतृत्व कर्ताओं के साथ साथ हिंदुत्व एवं राष्ट्रवाद के आधार पर मतों का धुव्रीकरण करने का प्रयास करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चेहरे का उपयोग किया। लगभग हर वार्ड में भाजपा के पार्षद प्रत्याशियों द्वारा विकास के साथ राष्ट्रवाद के मुद्दे को बराबरी पर रखा, जिसके फल स्वरूप 11 जुलाई को प्रचार थमने से लेकर 13 जुलाई को मतदान तक कमल की ऐसी बयार चली कि परिणाम में जिधर देखो उधर भाजपा की जीत का कमल ही कमल छाया रहा।

जातिवाद-वर्गवाद की राजनीति की करारी हार

कांग्रेस द्वारा हर छोटे बड़े चुनाव की भांति नगर निगम के चुनाव में भी जातिवाद एवं वर्गवाद की राजनीति का सहारा लेने का प्रयास किया गया। महापौर पद के लिये श्रीमती विनोदिनी रमेश व्यास की घोषणा के साथ ही कांग्रेस नेताओं एवं समर्थकों द्वारा ब्राह्मण एवं मुस्लिम वोटो की दुहाई दी जाने लगी थी। प्रचार के दौरान कांग्रेस की जाति एवं वर्ग वाद की राजनीति के तोड़ में सामाजिक समीकरणों को साधते हुए विभिन्न समाजों के साथ व्यापारिक संगठनों एवं कार्यकर्ताओं के बडे बडे सम्मेलन  किये गये। विधायक गायत्री राजे पवार, विक्रम सिंह पवार, जिला अध्यक्ष राजीव खंडेलवाल, प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, कार्तिकेय चौहान के आतिथ्य में हुए इन सम्मेलनों में भाजपा की और से विकास के साथ राष्ट्रवाद का मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया। प्रचार के अंतिम दिनो में 9 जुलाई को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जवाहर चौक में हुई जनसभा ने पैकी प्लाट की समस्या के निराकरण एवं अवैध कालोनियों को वैध किये जाने की घोषणा ने रही सही कसर और पूरी कर दी। जिसके कारण कांग्रेस की जातिय एवं वर्ग वाद की राजनीति को करारी हार का सामना करना पड़ा।

नगर निगम देवास के नव निर्वाचित पार्षद

वार्ड 1 से जितेंद्र मकवाना (बीजेपी)

वार्ड 2 से रितिका विनय सांगते (बीजेपी)

वार्ड 3 से बिंदेश्वरी राज वर्मा (निर्दलीय)

वार्ड 4 से अनुपम टोप्पो (कांग्रेस)

वार्ड 5 से पिंकी संजय दायमा (बीजेपी)

वार्ड 6 से अरुणा प्यारे मिया (कांग्रेस)

वार्ड 7 से मुस्तफा अंसार अहमद (बीजेपी)

वार्ड 8 से राजेंद्र ठाकुर (बीजेपी)

वार्ड 9 से दीपेश कानूनगो (कांग्रेस)

वार्ड 10 से अपर्णा जोशी (बीजेपी)

वार्ड 11 से अहिल्या पंवार (कांग्रेस)

वार्ड 12 से राजेश यादव (भाजपा)

वार्ड 13 से अकीला अजब सिंह (बीजेपी)

वार्ड 14 से पूजा राजेश डांगी (कांग्रेस)

वार्ड 15 से महेश उदयसिंह फुलेरी (बीजेपी)

वार्ड 16 से गणेश पटेल (बीजेपी)

वार्ड 17 से शन्नो इरफान अली (बीजेपी)

वार्ड 18 से राहुल दायमा (बीजेपी)

वार्ड 19 से उषा गोपाल खत्री

वार्ड 20 से अजय तोमर (बीजेपी)

वार्ड 21 से आस्था महेंद्र देशमुख (निर्दलीय)

वार्ड 22 से  सोनू रूपेश वर्मा (निर्दलीय)

वार्ड 23 से आलोक साहू (बीजेपी)

वार्ड 24 से ऋतु संवनेर (बीजेपी)

वार्ड 25 से मनीष सेन (बीजेपी)

वार्ड 26 से रवि जैन (बीजेपी)

वार्ड 27 से  फरजाना आबिद ( कांग्रेस)

वार्ड 28 से भूपेश ठाकुर ( बीजेपी)

वार्ड 29  से सपना अजय पंडित (बीजेपी)

वार्ड 30 से शीतल गहलोत (बीजेपी)

वार्ड 31 से विकास सिंह जाट (बीजेपी)

वार्ड 32 से निधि प्रवीण वर्मा (बीजेपी)

वार्ड 33 से ममता बाबू यादव (बीजेपी)

वार्ड 34 से रामदयाल यादव (बीजेपी)

वार्ड 35- सोनू परमार (निर्दलीय)

वार्ड 36- अमरीन वसीम (कांग्रेस)

वार्ड 37- खुशबु नीलेश वर्मा (बीजेपी)

वार्ड 38-दिव्या नितिन आहूजा (बीजेपी)

वार्ड 39- बाली घोसी (बीजेपी)

वार्ड 40- धर्मेंद्र सिंह बैस (बीजेपी)

वार्ड 41- अंतिम अजय पडिय़ार (बीजेपी)

वार्ड 42- डॉ श्याम पटेल (कांग्रेस)

वार्ड 43- राजा अकोदिया (निर्दलीय)

वार्ड 44-प्रमिला रामचरण पटेल (बीजेपी)

वार्ड 45-मंजू मुकेश मोदी (बीजेपी)

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