लाखों रुपए खर्च किए और फिर भी बदनाम हुए
कुमार विश्वास के माफी मांगने के वीडियो के प्रमुख तीन अंश
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भगवान से प्रार्थना करूंगा कि जिन्होंने भी ये विघ्नसंतोष पैदा किया है , ईश्वर उनकी बुद्धि को भी मलिनता से दूर करे
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आप ध्यान रखिएगा कि राम की कथा को कौन भंग करते हैं
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आपकी इस सामान्य बुद्धि में अगर ये प्रसंग किसी और तरीके से चला गया है तो उसके लिए मुझे माफ करें ...
लाखों रुपए का भुगतान कुमार विश्वास को किया गया होगा इस भुगतान के बदले अति उत्साहित और वाकपटुता में माहिर होने के साथ-साथ जाल में आसानी से श्रोता को उलझाने वाले कुमार विश्वास ने जिस तरह माफी मांगी उससे यह स्पष्ट है कि उन्होंने माफी की आड़ में स्वयं को ना सिर्फ पाक साफ घोषित किया बल्कि बवाल मचाने वालों पर कड़ा प्रहार किया उनकी माफीनामा के 3 वाक्य जिन्हें हमने सबसे ऊपर क्रमांक एक, दो और तीन का नाम दिया है, इन इन तीनों वाक्यों को एक बार फिर से पढ़ लीजिए जिससे से यह और भी स्पष्ट हो जाता है माफीनामा दरअसल उनके खिलाफ खड़े होने वालों को जमीन दिखाने जैसा है ।
माफी मांगने का यह तरीका कितना उचित है इसको लेकर मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री उमा भारती जी अपना बयान दे चुकी है ,इधर भले ही बुधवार को महाराजा विक्रमादित्य शोध संस्थान द्वारा जारी पत्र ने इस इस विवाद का पटाक्षेप कर दिया हो, लेकिन असली और नकली पत्र सवालों के घेरे में है ,क्योंकि अभी तक आयोजकों की तरफ से नकली पत्र जारी करने वाले के खिलाफ पुलिस में कोई शिकायत नहीं की गई है ,इस संबंध में दैनिक मालव क्रांति ने शोध पीठ संस्थान के श्री राम तिवारी से बात की तो उन्होंने कहा कि मुझे जहां शिकायत करनी थी मैंने कर दी है, उन्होंने यह भी कहा कि इसकी जानकारी मैंने शासन को दे दी है, सामान्य बुद्धि वाला भी इस बयान पर हंसेगा क्योंकि यदि सच में कोई फर्जी पत्र जारी हुआ था तो इसकी शिकायत साइबर क्राइम में करनी चाहिए थी अब यह तो राम ही जाने की असली और नकली पत्र के पीछे की कहानी क्या है लेकिन इतना जरुर है कि कुमार विश्वास लाखों रुपए भी वसूल कर गए और बदले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं जिन्होंने आर एस एस हो अनपढ़ कहने पर कड़ी आपत्ति जताई थी उन्हें शब्दों के बाण से उनकी बुद्धि को मालिन घोषित कर दिया। इधर आयोजन भी डर गए क्योंकि कुमार विश्वास ने अपने माफीनामा में स्पष्ट कर दिया था कि रामकथा को भंग करने वाले कौन होते हैं।
अब आइए एक लघु कथा से इस पूरे घटनाक्रम को समझने की कोशिश भी करते हैं की इस अपने-अपने राम कथा के पूरे तीन दिवसीय एपिसोड में उस्ताद कौन और चेला कौन?
एक अखाड़ा था और उसमें अखाड़े के गुरु के साथ कुछ चेले भी रहते थे, एक दिन एक चेले ने अखाड़े के उस्ताद से कहा की आप अब बूढ़े हो गए हैं इसलिए इस अखाड़े का उस्ताद मुझे घोषित कर दीजिए, उस्ताद ने कहा निसंदेह मैं बूढ़ा हो गया हूं लेकिन मुझसे तुम्हें मुकाबला करना होगा ,जीतने पर तुम उस्ताद घोषित कर दिए जाओगे, चेले ने चुनौती स्वीकार कर ली, तारीख और दिन भी मुकाबले के लिए तय हो गया। उस्ताद ने मुकाबले के पूर्व एक लोहार के यहां जाकर 8 इंच की म्यान बनवाई ,चेला उस्ताद पर नजर गड़ाए हुए था वह भी लोहार के यहां पहुंचा और उसने सोचा की 8 इंच की म्यान में 8 इंच की तलवार रखकर उस्ताद उसका काम तमाम कर देगा ,यह सोच कर चेले ने 10 इंच की म्यान और 10 इंच की तलवार बनवाई, निर्धारित तारीख और समय पर मुकाबला शुरू हुआ जैसे ही उस्ताद ने म्यान की तरफ हाथ बढ़ाया चेले ने 10 फीट की तलवार निकालने की कोशिश की, इस बीच उस्ताद ने म्यान में से ढाई फीट की तलवार निकाली और चेले की गर्दन पर रख दी।
इस लघु कथा से आप समझ गए होंगे कि उस्ताद कौन और चेला कौन?