कलेक्टर टीकमगढ़ एवं निवाड़ी को पत्र लिखकर की मांग
टीकमगढ़ (मप्र) : भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य एवं पूर्व जिलाध्यक्ष डॉ अभय प्रताप सिंह यादव ने कलेक्टर टीकमगढ़ एवं निवाड़ी को पत्र के माध्यम से कहा है की १० दिन में किसानों का क़र्ज़ माफ़ी का किये गए वचन को 1 साल बीत गया है, पहले यह कर्ज माफी एक बार में की जानी थी जिससे किसानों को उम्मीद थी की उनका कर्ज जल्द ही माफ हो जायेगा और वे कर्ज मुक्त हो जाएंगे परन्तु ऐसा नहीं हुआ | प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा मध्यप्रदेश को मानसून से हुए नुकसान की भरपाई हेतु ₹ 1750/- करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि स्वीकृत कर दी है। राज्य सरकार ने कहा है कि जय किसान ऋण माफी योजना में आवेदन करने से छूट गए किसान साथी 15 जनवरी से 31 जनवरी 2020 तक आवेदन कर सकते हैं । डॉ यादव ने जिला प्रशासन से यह सुनिश्चित करने को कहा की यदि किसी किसान ने कर्ज ले रखा है और उसकी मृत्यु हो गई है तो उसके वारिस को फसल ऋण माफी योजना का लाभ मिले, पलायन कर गए किसानों को पंचायत सचिवों के माध्यम से बुलवाकर और भरवाए जाएँ ताकि कोई भी पात्र किसान लाभ से वंचित ना रह जाएl जिन किसानों के बैंक खाते अब तक आधार से लिंक नहीं हुए हैं उन्हें जल्द से जल्द कराया जाएl योजना के प्रचार-प्रसार के लिए हाट बाजारों में लाउड स्पीकर से मुनादी करवाई जाए और पंचायतों में योजना से जुड़े पर्ची बटवाये जायें ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक सूचना पहुंच सके l कृषि विभाग के किसी जिम्मेदार कर्मचारी के माध्यम से योजना के फार्म भरवाए जाएँ l डॉ यादव ने कहा की किसान के नाम पर फर्जी ऋण निकालने वालों पर कार्यवाही की जाए बैंक कर्मियों ने सांठगांठ कर किसान के नाम पर फर्जी ऋण निकाल लिया और इसकी जानकारी संबंधित किसान को नहीं है यदि ऐसा कोई मामला सामने आये तो सबंधित अधिकारी के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई की जाए।
डॉ यादव ने कहा की राज्य सरकार की कथनी और करनी एक है तो, देश का पेट भरने वाला अन्नदाता को शासकीय प्रक्रिया में बिना उलझाए, सरलता से पूर्ण की जाना सुनिश्चित की जाना चाहिए l सूखा, बाढ़ अथवा किसी अन्य प्राकृतिक आपदा की स्थिती के दौरान सरकार उनके कर्ज माफ कर देती है लेकिन यह फैसला लेते-लेते इतनी देर हो जाती है कि कुछ किसान परिवार के लिए यह खुशख़बरी बेमानी हो चुकी होती है।
डॉ यादव ने कहा की राज्य सरकार की कथनी और करनी एक है तो, देश का पेट भरने वाला अन्नदाता को शासकीय प्रक्रिया में बिना उलझाए, सरलता से पूर्ण की जाना सुनिश्चित की जाना चाहिए l सूखा, बाढ़ अथवा किसी अन्य प्राकृतिक आपदा की स्थिती के दौरान सरकार उनके कर्ज माफ कर देती है लेकिन यह फैसला लेते-लेते इतनी देर हो जाती है कि कुछ किसान परिवार के लिए यह खुशख़बरी बेमानी हो चुकी होती है।
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