लोकतंत्र  की हत्या और न्यायालय की अवमानना को उतारू हुई शिवराज सरकार


नगरीय निकाय का कार्यकाल
बढ़ाने का निर्णय असंवैधानिक , राज्यपाल महोदय हस्तक्षेप करे , कांग्रेस न्यायालय में चुनौती देगी - सज्जन वर्मा 
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भोपाल - 
पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा ने शिवराज सरकार द्वारा पहली केबिनेट बैठक में नगरीय निकायो के कार्यकाल बढ़ाने को लेकर प्रशासकीय समिति बनाये जाने के निर्णय को आलोकतांत्रिक , लोकतंत्र की हत्या व न्यायालय की अवमानना बताते हुए कहा कि कांग्रेस इस असंवैधानिक निर्णय का पुरज़ोर विरोध करेगी व इसे न्यायालय में चुनौती भी देगी। एक डरे हुए मुख्यमंत्री द्वारा छटाक भर की मंत्री परिषद  के साथ लिया गया यह असंवेधानिक निर्णय , अपूर्ण कैबिनेट में लिया गया है।
वर्मा ने कहा कि राज्य की भाजपा की अलोकतांत्रिक सरकार ने नगरीय निकाय के कार्यकाल को बढ़ाने का निर्णय असंवैधानिक तरीके से , कोरोना संकट के नाम पर लिया है।जिसका सर्वप्रथम तो वर्तमान सरकार को अधिकार नहीं है , दूसरा जब इस सम्बंध में माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका लम्बित है तो ऐसी स्थिति में नगरीय निकायों का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ाने का निर्णय पूर्ण रूप से संविधान के विपरीत है।
वो नगरीय निकाय ,जिनका कार्यकाल पहले ही समाप्त हो चुका है उन्हें 1 वर्ष के लिए पुनः बहाल कर दिया जायेगा और वहाँ एक प्रशासकीय समिति बना दी जायेगी जो कि सीधे सीधे संविधान के अनुच्छेद 243-A का भी उल्लंघन है।
आर्टिकल 243 में यह साफ़ उल्लेखित है कि नगरीय निकायो का कार्यकाल 5 साल से ज़्यादा नहीं हो सकता है , साथ ही मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम की धारा 20
में भी उल्लेखित है कि कार्यकाल 5 वर्ष का ही हो सकता है। 
भारत के संविधान और नगर पालिका अधिनियम दोनो में ही कार्यकाल समाप्त हो जाने के बाद , किसी भी प्रकार की कमेटी बनाए जाने का भी कोई प्रावधान नहीं है।


उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर में माह फरवरी में उपरोक्त संविधान का हवाला देकर एक जनहित याचिका क्रमांक 4856/20 दायर हुयी थी , जिसमें चुनाव शीघ्र कराए जाने की मांग की गयी थी , जिस पर न्यायालय ने दिनांक 28/2/20 को मध्यप्रदेश सरकार और चुनाव आयोग से चुनाव नही कराए जाने को लेकर जवाब मांगा था और उक्त याचिका अभी भी लंबित है।ऐसे में यह नई अधिसूचना माननीय न्यायालय की अवमानना भी है।


भाजपा की अलोकतांत्रिक सरकार जनता को कोरोना के संकट में डाल कर लोकतंत्र की हत्या करने में जुटी है।कांग्रेस इस निर्णय का सड़क से लेकर सदन में पुरज़ोर विरोध करेगी और इसे न्यायालय में चुनौती भी देगी क्योंकि उक्त निर्णय असंवैधानिक होकर , लोकतंत्र की हत्या भी है। अपनो को फ़ायदा पहुँचाने के लिये कोरोना की आड़ लेकर यह सब किया जा रहा है ताकि कोरोना संकट में भी इन नगरीय निकायो में भ्रष्टाचार का खेल खेला जा सके।
कोरोना संकट के इस दौर मे अभी प्राथमिकता कोरोना से निपटना होना चाहिये ना कि इसकी आड़ में अपनो को उपकृत व भ्रष्टाचार का खेल खेला जाना चाहिये।
कांग्रेस माननीय राज्यपाल महोदय से भी माँग करती है कि वो हस्तक्षेप कर तत्काल प्रभाव से इस असंवैधानिक निर्णय को रोके क्योंकि वे राज्य के संवैधानिक प्रमुख है और प्रदेश में संविधानिक व्यवस्था को सुचारु रूप से बनाय रखना उनका कार्य है।


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