BIGBREAKING,,,,,,,,,विक्रमादित्य क्लॉथ मार्केट के प्रसिद्ध साड़ी व्यापारी की मौत कोरोना से ही हुई थी, 19 जून को इंदौर में कोरोना से मरने वालों की सूची में शामिल थी यह मौत, बड़ा सवाल,,, क्या कोरोना से मौत को छुपाने के लिए हेर-फेर की गई

उज्जैन । विक्रमादित्य क्लॉथ मार्केट के प्रसिद्ध और बहुचर्चित साड़ी व्यापारी की मौत, इंदौर के अरविंदो अस्पताल में, 17 जून को कोरोना से हुई । 19 जून को कोरोना से मरने वालों की सूची में इस मौत को शामिल भी किया है लेकिन आश्चर्य इस बात का है कि शासन की गाइडलाइन के मुताबिक, उज्जैन के व्यक्ति की ,इंदौर में मौत होने के बाद उसे उज्जैन की सूची में क्यों शामिल नहीं किया गया? दरअसल इस साड़ी व्यापारी को 7 जून 2020 को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने परीक्षण के लिए उज्जैन के माधव नगर अस्पताल में भर्ती किया था जहां से 8 जून की रात तबीयत ज्यादा खराब होने पर देवास के अमलतास अस्पताल और फिर वहां से इंदौर के अरविंदो अस्पताल में भर्ती किया गया था ।जहां 17 जून को इसकी मृत्यु हो गई। नियमानुसार यह मौत उज्जैन के खाते में जुड़ना चाहिए थी, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से यह मौत, 19 जून 2020 को इंदौर के खाते में जोड़ दी गई। इस मौत को लेकर शुरू से यह बताया गया कि इसकी रिपोर्ट नेगेटिव आई है लेकिन मध्यप्रदेश के जाने-माने सोशल वर्कर अभय दुबे ने 40 पॉजिटिव मौतों को देरी से शामिल करने को लेकर जब आवाज उठाई और कोरोना से होने वाली हर एक मौत का ऑडिट करने की मांग करते हुए, 40 मृतकों की सूची जारी की ,तो यह सनसनीखेज मामला उजागर हुआ।तब पता चला कि मृतकों के नाम देरी से सूची में शामिल करने के अलावा मृतकों के रिकॉर्ड के साथ भी छेड़छाड़ की गई है, क्योंकि इस साड़ी व्यापारी को रिकॉर्ड में इंदौर जिले का होना बताया गया है। पहले उज्जैन के माधव नगर अस्पताल फिर देवास के अमलतास और बाद में इंदौर के अरविंदो में 8 दिन आईसीयू में भर्ती रहने के बाद ,मरने वाले कोरोना पॉजिटिव मरीज का पता बदलने से, अनेक सवाल सामने आ गए हैं ?


पहला ,उज्जैन के मरीज की इंदौर में मौत होने के बाद उसका नाम इंदौर की सूची में कैसे जुड़ गया ?


दूसरा मरीज के पते में से उज्जैन शब्द कैसे गायब हो गया ?


तीसरा ,उज्जैन प्रशासन को इसकी सूचना क्यों नहीं दी गई ?


चौथा ,यदि उज्जैन प्रशासन को सूचना दी गई थी तो फिर इसका नाम उज्जैन के मृतकों की सूची में क्यों नहीं जोड़ा गया?


 पांचवा व सबसे अहम सवाल, क्या रसूखदार लोगों के लिए अस्पताल प्रबंधन रिकॉर्ड में हेराफेरी कर रहे हैं ? और यह हेराफेरी करने के एवज में क्या मोटी रकम वसूली जा रही है?


,,,,,,,इन सवालों के जवाब आज नहीं तो कल जरूर सामने आएंगे,,, लेकिन फिलहाल इस प्रकरण के सामने आने से यह तय हो गया है कि कहीं ना कहीं कोई खेल जरूर चल रहा है ,और इस खेल ने मौत के आंकड़ों पर भी प्रश्नचिन्ह लगा दिया है???                  व्यापारी की पत्नी का केस भी अजीबोगरीब,,,,, मृतक व्यापारी की पत्नी का प्रकरण भी अजीबो गरीब था, व्यापारी की पत्नी उज्जैन के माधव नगर अस्पताल में भर्ती थी और उसकी दो रिपोर्ट कोरोना नेगेटिव आने के बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया गया था लेकिन डिस्चार्ज के कुछ घंटे बाद ही एक अन्य रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उसे वापस भर्ती किया गया था, इसके साथ ही विक्रमादित्य क्लॉथ मार्केट के कुछ हिस्से को कंटेनमेंट एरिया घोषित किया गया था, उज्जैन में अब तक जितने भी कोरोना के पॉजिटिव और नेगेटिव प्रकरण सामने आए हैं उनमें यह प्रकरण न सिर्फ सबसे अलग था बल्कि अजीबो गरीब था, जिसमें महिला की अस्पताल से छुट्टी होने के बाद उसे वापस घर से बुलाकर भर्ती किया गया था।                                                      प्रदेश सरकार करेगी मौतों का ऑडिट,,,,,,, दरअसल कोरोना से मरने वालों की संख्या को लेकर शुरू से ही विवाद है, इसको लेकर अनेक शिकायतो के बाद 22 जून को प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कोरोना से होने वाली मौतों का ऑडिट करने के निर्देश दिए थे, इसमें मरीज के अस्पताल पहुंचने से लेकर पूरे इलाज का एडिट किया जाना है कुछ मामलों में डॉक्टरों और इलाज से जुड़े प्रबंधन की लापरवाही सामने आने के बाद प्रदेश के स्वास्थ्य पीएस फैज अहमद किदवई ने भी कलेक्टरों को सख्ती बरतने के निर्देश दिए हैं, इन निर्देशों का कितना पालन हो रहा है यह बहस का विषय हो सकता है लेकिन यह तय है कि राष्ट्रीय आपदा के इस दौर में अनेक तरह की अनियमितता की गई है, जिसके चलते मौत के आंकड़ों पर प्रश्न चिन्ह लग गया है, अब सवाल यह भी खड़ा हो गया है कि क्या मौत के आंकड़ों को हेराफेरी कर छुपाया जा रहा है।उज्जैन में उसकी रिपोर्ट नेगेटिव थी,,,,,,,,,, विक्रमादित्य क्लॉथ मार्केट के जिस व्यक्ति की आप बात कर रहे हैं , उज्जैन में इलाज के दौरान रिपोर्ट नेगेटिव आने के कारण पॉजिटिव की सूची में शामिल नहीं था, इंदौर में उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई और उसकी मौत हो गई इसकी जानकारी हमें नहीं दी गई।                          डॉ  महावीर खंडेलवाल,.                मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी


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